कोई सच्चे ख्वाब दिखाकर
आँखो मे समा जाता है
ये रिश्ता
ये रिश्ता क्या कहलाता है
ये रिश्ता क्या कहलाता है
ये रिश्ता क्या कहलाता है
ये रिश्ता क्या कहलाता है
जब सूरज थकने लगता है और धूप सिमटने लगती है
कोई अंजानी सी चीज़ मेरी साँसों से लिपटने लगती है
कोई अंजानी सी चीज़ मेरी साँसों से लिपटने लगती है
मैं दिल के करीब आ जाती हूँ, दिल मेरे करीब आ जाता है
ये रिश्ता क्या कहलाता है
ये रिश्ता क्या कहलाता है
इस गुमसुम झील के पानी मे
कोई मोती आ कर गिरता है
एक दायरा बनने लगता है
और बड़के भवर बनजाता है
ये रिश्ता क्या कहलाता है
ये रिश्ता क्या कहलाता है
ये रिश्ता क्या कहलाता है
ये रिश्ता क्या कहलाता है
तस्वीर बनाती रहती हूँ, मैं टूटी हुई आवाज़ो पर
एक चेहरा ढूँढ़ती रहती हूँ, दीवारों कभी, दरवाज़ों पर
एक चेहरा ढूँढ़ती रहती हूँ, दीवारों कभी, दरवाज़ों पर
मैं अपने पास नहीं रहती और दूर से कोई बुलाता है
ये रिश्ता क्या कहलाता है
ये रिश्ता क्या कहलाता है
ये रिश्ता क्या कहलाता है
ये रिश्ता क्या कहलाता है