Mohammed Rafi
Main Ne Shayad Tumhen Pehle Bhi
मैंने शायद तुम्हें पहले भी कहीं देखा है
मैंने शायद तुम्हें
मैंने शायद तुम्हें पहले भी कहीं देखा है
मैंने शायद तुम्हें
अजनबी सी हो, मगर ग़ैर नहीं लगती हो
वहम से भी जो हो नाज़ुक वो यक़ीं लगती हो
हाय, ये फूल सा चेहरा, ये घनेरी ज़ुल्फ़ें
मेरे शेरों से भी तुम मुझको हसीं लगती हो
मैंने शायद तुम्हें
देखकर तुमको किसी रात की याद आती है
एक ख़ामोश मुलाक़ात की याद आती है
ज़हन में हुस्न की ठंडक का असर जागता है
आँच देती हुई बरसात की याद आती है
मैंने शायद तुम्हें पहले भी कहीं देखा है
मैंने शायद तुम्हें
जिसकी पलकें मेरी आँखों पे झुकी रहती हैं
तुम वो ही मेरे ख़यालों की परी हो कि नहीं?
कहीं पहले की तरह फिर तो ना खो जाओगी
जो हमेशा के लिए हो वो ख़ुशी हो कि नहीं?
मैंने शायद तुम्हें पहले भी कहीं देखा है
मैंने शायद तुम्हें