Monali Thakur
Ho Jaa Awara
चढ़ी चढ़ी ये साँसें हैं
धडकनों की आवाज़ें हैं
जागे से हैं ये सारे लम्हे
तारे गिनने की रात है
हवाएं क्या, कहती हैं सुन
हाथ दे तू उड़ बेपरवाह
धारे सारे बहते आ रे
सारे कहते आ
हो जा आवारा
लम्हे लड़कर छीने दम भर
भर कर जी ले आ
हो जा आवारा
धारे सारे बहते आ रे...
भेड़ों के मखमल सिर हैं
खोले है जंगल भी बाहें
है नसों में जैसे बिजलियाँ
भावना डालों के झूले
आसमां पैरों से छूले
बादलों में खोले खिड़कियाँ
जुगनुओं की, तुम बारिश में
अंधेरों को घुल जाने दे
धारे सारे बहते आ रे
सारे कहते आ
हो जा आवारा
लम्हे लड़कर छीने
दम भर भरकर जी ले आ
हो जा आवारा
पुल पे बंधे तूफ़ां
घुलके बनके तूफ़ां आ
हो जा आवारा
दरिया जैसे शीशे बह जा
आ के नीचे आ
हो जा आवारा
धारे सारे बहते...