Kumar Sanu
Ek Ladki Ko Dekha
[Verse 1]
हो, एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
जैसे खिलता गुलाब, जैसे शायर का ख़ाब
जैसे उजली किरण, जैसे मन में हिरण
जैसे चाँदनी रात, जैसे नरमी की बात
जैसे मंदिर में हो एक जलता दिया
ओ, एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
[Verse 2]
हो, एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
जैसे सुबह का रूप, जैसे सर्दी की धूप
जैसे बीना की तान, जैसे रंगों की जान
जैसे बलखाए बेल, जैसे लहरों का खेल
जैसे खुशबू लिए आई ठंडी हवा
ओ, एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
[Verse 3]
हो, एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
जैसे नाचता मोर, जैसे रेशम की डोर
जैसे परियों का राग, जैसे संदल की आग
जैसे १६ सिंगार, जैसे रस की फुहार
जैसे आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ता नशा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
[Outro]
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा